हरदोई में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने हिन्दू साम्राज्य दिवस बड़े हर्षोल्लास से मनाया

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हरदोई: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नगर संघचालक मिथिलेश ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हिंदू साम्राज्य दिवस को संघ के वार्षिक 6 प्रमुख उत्सवों में एक है। हिंदू साम्राज्य दिवस के दिन ही छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक हुआ था और उन्होंने हिंदू साम्राज्य दिवस की स्थापना की थी। नगर संघचालक ने शिवाजी के जीवन की एक घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि एक बार बाल शिवाजी की माता जीजाबाई मंदिर में पूजा करने जा रही थी, उसी समय कुछ मुस्लिम आक्रांताओं ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया। पूजा न कर पर पाने से दुखी उनकी माता जी व पिता जी कुछ न कह सके। इससे दुखी होकर उन्होंने अपने पुत्र शिवाजी द्वारा एक ऐसे साम्राज्य की स्थापना का संकल्प लिया जहाँ हिन्दुओं के साथ कोई दुर्व्यवहार न हो सके. वीरता और राष्ट्रभक्ति के गुण शिवाजी में बचपन से ही थे पर उनकी माँ जीजाबाई ने इन गुणों को और भी संवारा। वे बाल शिवाजी को रामायण, महाभारत सहित पुराणों आदि की कहानियां सुनाती जिससे शिवाजी में वीरता, राष्ट्रप्रेम और धर्मपरायणता के गुण और भी पुष्ट हुए। जीजाबाई की शिक्षा का उन पर ऐसा असर पड़ा कि मात्र 16 साल कि अवस्था में ही उन्होंने अपनी सेना का गठन करके पुणे का तोरल नाम का दुर्ग जीत लिया। जल्दी ही उन्होंने अपनी विशिष्ट छापामार युद्धनीति से कई दुर्गों पर विजय प्राप्त कर ली।

उन्होंने आगे कहा कि अगर हम छत्रपति शिवाजी महाराज के कालखंड को देखेंगे तो पाएंगे कि यह विजय केवल शिवाजी महाराज की विजय नहीं थी। अपितु हिंदू अस्मिता के लिये संघर्ष करने वालों की विजय थी। शिवाजी के प्रयत्नों से तात्कालिक हिंदू समाज के मन में विश्वास के भाव का निर्माण हुआ। समाज को आभास हुआ कि पुनः इस राष्ट्र को सांस्कृतिक रूप से सम्पन्न बनाते हुए सर्वांगीण उन्नति के पथ पर अग्रसर कर सकते हैं। छत्रपति शिवाती महाराज अपितु संपूर्ण भारत के जन- जन के नायक बन गये। वह ऐसे महान शासक थे जो देश की वास्तविक चेतना का प्रतिनिधित्व करते थे।

छत्रपति शिवाजी मुगल शासन में व्याप्त अथाह भ्रष्टाचार से पूरी तरह परिचित थे अतः उन्होंने ने एक ऐसा शासन तंत्र विकसित किया जो पूरी तरह से भ्रष्टाचार से मुक्त और उस समय के लिए एक आदर्श शासन व्यवस्था का उदाहरण बना। शिवाजी महाराज मनोवैज्ञानिक कौशल में अत्यंत निपुण थे जिसके कारण अनेक युद्धों में वे सीमित संसाधनों में भी विजय प्राप्त कर सके। छापामार युद्ध शैली में उनकी सेना अत्यंत निपुण थी जिसके कारण औरंगजेब को अनेकानेक युद्धों में पराजय का मुंह देखना पड़ा था। छत्रपति शिवाजी महाराज ब्राह्मणों, गायों और मंदिरों की रक्षा को अपनी राज्यनीति का लक्ष्य घोषित किया था। छत्रपति शिवाजी सदा स्वराज की स्थापना के लिए लड़े । उनका अपने सैनिकों को स्पष्ट आदेश था कि भारत के लिए युद्ध करें किसी राजा या राज्य विशेष के लिए नहीं। शिवाजी की रणनीति अद्वितीय थी और उनके कुशल गुप्तचरों का जाल पूरे भारत में फैला हुआ था। शिवाजी के शासनकाल में व युद्धों के दौरान महिलाओं का विशिष्ट सम्मान रखा जाता था। आज हिंदू साम्राज्य दिवस का यह दिन हमको राष्ट्रवाद, देशभक्ति, नेतृत्व, साहस, एकता और संगठित रहने का संदेश देता है तथा अपने धर्म, संस्कृति, स्वाभिमान के प्रति सम्मान के लिए प्रेरित करता है। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह नगर कार्यवाह राजवर्धन, विभाग संघचालक शिवस्वरूप, जिला महाविद्यालयन प्रमुख विनय प्रताप सहित सैकड़ों की संख्या में स्वयंसेवक उपस्थित रहे।

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