पीलीभीत के इस गांव में धर्म परिवर्तन की सुनामी,सिख बन रहे ईसाई,जांच में जुटा जिला प्रशासन

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पीलीभीत। उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में भारत-नेपाल सीमा के दर्जनों गांव में धर्म परिवर्तन को लेकर चर्चा जोरों पर है।धर्म परिवर्तन कराए जाने की शिकायत करने वाली गुरुद्वारा कमेटी ने हैरतअंगेज खुलासे किए है।नेपाल,पंजाब,हरियाणा से आने वाले पादरी आर्थिक रूप से कमजोर ग्रामीणों को शिक्षा,इलाज और पैसे का लालच देकर ईसाई बनाते हैं।अब इसकी शिकायत जिला प्रशासन की गई है,जिला प्रशासन जांच करके कार्रवाई में जुटा है।मामला तूल पकड़़ता देखकर अब धर्म परिवर्तन करने वाले दर्जनों लोग धर्म परिवर्तन से इंकार भी करने लगें है।

पीलीभीत के गांवों में धर्म परिवर्तन

पीलीभीत में भारत-नेपाल सीमा से सटे दर्जनों गांव हैं,जिसमें बेल्हा,खजुरिया,टाटरगंज भी हैं। यहां 1956 में पाकिस्तान छोड़कर आएं सिख समुदाय के लोगों को बसाया गया था।ये नेपाल से लगा हुआ इलाका है।चंद कदम पर नेपाल की सीमा है,यहां पड़ने वाले 12 गांवों की आबादी 100 फीसदी सिख बाहुल्य हैं,जो लगभग 22000 के आसपास है,यहां के घर 90 फीसदी झोपड़पट्टी हैं।यहां गुरूद्वारा कमेटी ने अपने इलाके के तीन हजार लोगों का धर्म परिवर्तन कराए जाने का जिला प्रशासन से शिकायत की है,इसको लेकर प्रशासन ने जांच शुरू कर दी है।पहले कार्रवाई में लोगों के घरों में ईसाई धर्म अपनाने वाले ग्रन्थ और निशान पाए गए हैं।

पैसे का लालच देकर करवा रहे धर्म परिवर्तन

गांव वालों का कहना है कि यह धर्म परिवर्तन का खेल लगभग 15 साल से चल रहा था,अब विकराल रूप ले लिया है।सिख समुदाय का एक बड़ा गुट इसके विरोध में खड़ा हो गया है।सिख समुदाय ने इस बात को लेकर जिला प्रशासन से शिकायत भी की है।नेपाल से लगे बेल्हा गांव के कुछ लोगों का कहना है कि उनको लालच देकर,बीमारियों को ठीक कर देने का दावा करके उनको बाइबल पढ़ने,ईसाई समुदाय की सभाओं में जाने के लिए कहा जाता था,इसके साथ ही इनको सरकारी सुविधा पढ़ाई पैसा आदि का लालच भी दिया जाता था,जब इन लोगों को सरकारी सुविधा पैसा और बीमारी नहीं ठीक हुई तो अब यही सिख परिवार के लोग घर वापसी कर रहे हैं।

नेपाल सीमा से जुड़ता कनेक्शन

पीलीभीत की भौगोलिक स्थिति इस पूरे मामले में एक अहम भूमिका निभा रही है।नेपाल सीमा से सटा होने के कारण यहां अक्सर सीमापार गतिविधियां सक्रिय रहती हैं।जांच एजेंसियों को शक है कि नेपाल से संचालित कुछ एनजीओ और मिशनरी संगठन, जो मानव सेवा के नाम पर काम कर रहे हैं, असल में धर्मांतरण जैसे कार्यों में संलिप्त हैं।नेपाल में पहले से ही मिशनरियों की मजबूत पकड़ रही है और वहां से सटे भारतीय इलाकों में भी उनका प्रभाव लगातार बढ़ता जा रहा है,ऐसे में इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि पीलीभीत और उसके आसपास के क्षेत्रों में धर्म परिवर्तन का खेल एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क के माध्यम से संचालित हो रहा हों।

जांच में जुटा जिला प्रशासन

भारत-नेपाल सीमा से लगे गांव में धर्म परिवर्तन को लेकर अब जिला प्रशासन भी सक्रिय है,जबकि सीमा पर एसएसबी, स्पेशल इंटेलिजेंस,स्थानीय पुलिस नजर रखती है फिर भी 10 साल से धर्म परिवर्तन का इतना बड़ा खेल चला था,यह कैसे नजरों से बच गया।नेपाल की एक बड़ी साजिश करने का भी शक गहरा रहा है।अब देखना यह है कि धर्म परिवर्तन को लेकर केंद्र सरकार और यूपी सरकार कितने कठोर कदम उठाती है,जिस देश की आंतरिक सुरक्षा पर कोई सेंध ना मार सके।

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