हरदोई के नवागंतुक जिलाधिकारी अनुनय झा ने दो दिन पूर्व हरदोई मेडिकल कॉलेज का निरीक्षण किया था और व्यवस्थाओं को तत्काल प्रभाव से दुरुस्त करने के निर्देश दिए थे साथ ही जिलाधिकारी ने बाजार से लिखे जाने वाली दवाओं की प्रथा को तत्काल प्रभाव से रोक लगाने के निर्देश दिए थे लेकिन इसका असर हरदोई मेडिकल कॉलेज में होता हुआ नजर नहीं आ रहा है।
हरदोई मेडिकल कॉलेज में व्यवस्थाएं सुधरने का नाम नहीं ले रही हैं। रात में मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों का अभाव अक्सर मरीजों की जान तक ले रहा है।
हरदोई मेडिकल कॉलेज के जिम्मेदार सिर्फ अधिकारियों को गुमराह करने का कार्य कर रहे हैं। बीती रात मेडिकल कॉलेज के पेडियाट्रिक वार्ड में पेट दर्द से बच्चा तड़पता रहा लेकिन डॉक्टर अस्पताल में मौजूद नहीं थे।पेडियाट्रिक वार्ड में तैनात महिला स्वास्थ्य कर्मी नंदिनी सक्सेना ने जब डॉक्टर को फोन मिलाया तो डॉक्टर ने स्वास्थ्य कर्मी का फोन तक उठाना मुनासिफ़ नहीं समझा। स्वास्थ्य कर्मी द्वारा कई बार डॉक्टर को फोन मिलाया लेकिन डॉक्टर ने फोन नहीं उठाया।
स्वास्थ कर्मी द्वारा पीडियाट्रिक वार्ड के तीन डॉक्टरों को फ़ोन मिलाया लेकिन किसी ने भी फ़ोन नहीं उठाया।ऐसे में स्वास्थ्य कर्मी ने कहा कि इस तरह के मामले लगातार आते रहते हैं। हरदोई मेडिकल कॉलेज के पेडियाट्रिक वार्ड में रात 8:00 से सुबह 8:00 बजे तक डॉक्टर उपलब्ध नहीं रहते हैं।डॉक्टर को फोन मिलाया जाता है डॉक्टर फोन नहीं उठाते हैं। डॉक्टर पीडियाट्रिक वार्ड में तैनात स्वास्थ्य कर्मियों की समस्याओं को नहीं समझते हैं। स्वास्थ्य कर्मी ने यहां तक कहा डॉक्टरों की करनी का नतीजा स्वास्थ्य कर्मियों को भुगतना पड़ता है।
बाहर से दवा लिखने की प्रथा अब भी जारी
महोलिया शिवपार की रहने वाली अनीका पेट दर्द के चलते रात लगभग 3:00 बजे हरदोई मेडिकल कॉलेज के पेडियाट्रिक वार्ड में इलाज के लिए अपने परिजनों के साथ पहुंची थी लेकिन जब परिजन अनिका को लेकर पेडियाट्रिक वार्ड में पहुंचे तो नजारा देख हैरान रह गए। पेडियाट्रिक वार्ड में स्वास्थ्य कर्मी सोए हुए थे और डॉक्टर नदारत थे जिसके बाद परिजनों ने स्वास्थ्य कर्मी को उठाकर इलाज के लिए डॉक्टर को बुलाने की मांग की तब महिला स्वास्थ्य कर्मी ने बताया कि डॉक्टर उपलब्ध नहीं है। डॉक्टर घर पर हैं जिसके बाद महिला स्वास्थ्य कर्मी ने तीन से चार बार पीडियाट्रिक के तीन डॉक्टरो को फोन किया लेकिन फोन नहीं उठा।
वार्ड में तैनात महिला स्वास्थ कर्मी ने जिसके बाद बाहर की दवा लिख दी। महिला स्वास्थ्य कर्मी ने बताया कि पेडियाट्रिक वार्ड में किसी भी निर्धारित डॉक्टर की ड्यूटी नहीं लगती है। रात में जो भी डॉक्टर उपलब्ध होता है उसकी ड्यूटी लगा दी जाती है लेकिन वर्तमान में कोई भी डॉक्टर उपलब्ध नहीं है। मेडिकल कॉलेज में तैनात नर्सिंग स्टाफ को भर्ती बच्चों को देखने का कार्य होता है लेकिन जब डॉक्टर उपलब्ध नहीं होता है तो मजबूरी वश उनको ही बच्चों का उपचार करना पड़ता है।

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